भारतीय परंपरा में शादी का बहू थी बड़ा योगदान है शादी में दो आत्मा मिलते हैं जिन पर दो दिन दो-तीन या उससे ज्यादा दिन लोग एक साथ मिलकर उसे उत्सव को मानते हैं
दोस्ती का जो बंधन है उसमें कोई भी उत्सव नहीं मनाया जाता वह तो सिर्फ दो लोगों की मानवीय स्थिति और शोक मिलने से हो जाती है दोस्ती ही एक ऐसा बंधन है जिसमें आप कुछ भी शेयर कर सकते हो अच्छा या बुरा और आपका अच्छा दोस्त आपकी प्रगति की प्रगति के बारे में ही सोचेगा नहीं को अपना आंतरिक जी सोता है
आभार।
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